हनीमून
आज कुछ पर्सनल सा आप सब लोगों के साथ बांटने का मन कर रहा है ,तो चलिए अपने हनीमून की बात आपको बताते है हनीमून की बात इसलिए निकली, कि आज से पांच छह साल पहले नैनीताल जाते समय ट्रेन में मिली एक नवयुवती ने हमसे पूछा, 'आप लोग नैनीताल क्यों जा रहे हैं, घूमने?' 'घूमने नहीं, हनीमून मनाने।' मैंने उत्तर दिया। वह युवती तो चौक गई उसके चेहरे पर विस्मय मिश्रित मुस्कान फैल गयी, आँखें तनिक बड़ी हो गयी, गाल और कान गुलाबी हो गए। फिर उसने मेरे साथ मेरे दोनों बच्चों पर नज़र डाली यानी चीता और चीकू और मेरे अधपके बालों पर नज़र डाली, उसके बाद आरतीजी के काले बालों पर नजर घुमायी, ऐसा लगा जैसे उसके मन में कोई सवाल आया लेकिन उसकी ज़ुबान नहीं खुली, वह चुप रह गयी और मुस्कुराते हुए ट्रेन के बाहर देखने लगी। हम दोनों ने भी एक-दूसरे को देखा और उस लड़की की तरफ देखने लगे। जब माहौल सहज हो गया तो मैंने उस बला की सुंदर युवती से को कहा' जब हमारी शादी हुई थी, तब हनीमून का रिवाज तो था पर एक अदब और लिहाज़ के कारण हम दोनों ने इस अंग्रेज़ी कल्चर को फॉलो नहीं करने का निश्चय किया इसलिए जो सुख घर में मिलना था, मि